Message From Principal
मेरा लक्ष्य है कि ईमानदारी से निरन्तर सुधार का दृष्टिकोण रखते हुए लक्ष्यों एवं महत्वपूर्ण कार्यों, विचारों को संगठित कर एक साथ करना, शिक्षण की गुणवत्ता में लगातार सुधार करते हुए शिक्षा प्रदान करना है। जिससे विद्यालय निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर होता रहे। आज समाज और देश के सामने सबसे बड़ा प्रश्न है कि शिक्षा किस लिए दी जाय ? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों एवं शिक्षा विशारदों ने शिक्षा के विभिन्न उद्देश्य बताए हैं। किसी विद्वान् का मत है कि "विद्या के लिए विद्या है'", तो दूसरे विद्वान् का कथन है कि आजीविका या व्यवसाय के लिए तैयार करना ही शिक्षा का उद्देश्य है। कई विद्वानो का मत है कि मनुष्य शारिरिक, मानसिक, नैतिक तथा अन्य सभी पहलुओं से विकास करना ही शिक्षा का उद्देश्य है। कुछ लोग सच्चरित्र निर्माण को शिक्षा का उद्देश्य मानते हैं। यह सभी उद्देश्य मिलते-जुलते हैं। वैदिक ऋषियों के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य है- 'मानव का सर्वागीण विकास' अर्थात् मानव जीवन का जो उद्देश्य है, उस उद्देश्य तक पहुँचना ही शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए। मानव जीवन का उद्देश्य है पुरुषार्थ यानी मोक्ष।इसके लिए हमें शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक सभी नियमों का ज्ञान होना चाहिए। घर में हम माता-पिता के साथ कैसा व्यवहार करें? आजीविका के लिए क्या करें? सामाजिक तथा राजनैतिक समस्याओं का क्या हल निकालें ? संक्षेप में हर बात में हम पूर्ण हों, किसी में अधूरे न रहें। यह वैदिक ऋषियों की शिक्षा का उद्देश्य है। यदि इस अपना सर्वांगीण विकास करते हुए पुरुषार्थ को प्राप्त कर सकें, तो हमारी शिक्षा सफल शिक्षा है, अन्यथा नहीं। मैं मानता हूँ कि शिक्षा अति आवश्यक है, क्योंकि- "व्यक्ति अपने ज्ञान से महान् होता है जन्म से नहीं। "हमारा उद्देश्य है कि विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास हो।
( PRINCIPAL )